सर्व शिक्षा अभियान . . . शिक्षा सभी के लिए
"निरक्षरता हमारे लिए पाप और शर्मनाक है और इसका नाश किया जाना चाहिए। "
महात्मा गांधी
शिक्षा एक ऐसा साधन है जो राष्ट्र की सामाजिक –आर्थिक स्थिति में सुधार लाने में एक जीवंत भूमिका निभा सकता है। यह नागरिकों की विश्लेषण क्षमता सहित उनका सशक्तीकरण करता है, उनके आत्म विश्वास का स्तर बेहतर बनाता है और उन्हें शक्ति से परिपूर्ण करता है एवं दक्षता बढ़ाने के लक्ष्य तय करता है।
शिक्षा में केवल पाठ्यपुस्तकें सीखना शामिल नहीं है बल्कि इसमें मूल्यों, कौशलों तथा क्षमताओं में भी वृद्धि की जाती है। इससे व्यक्ति को अपने केरियर और साथ ही प्रगतिशील मूल्यों के साथ एक नए समाज के निर्माण में एक उपयोगी भूमिका निभाने में सहायता मिलती है। अत: शिक्षा व्यक्तिगत स्तर के साथ बेहतरी के लिए पूरे समाज में बदलाव ला सकती है।
शिक्षा का क्षेत्र भारत सरकार के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है, जिसके द्वारा प्रारंभिक शिक्षा को प्रोत्साहन देने के लिए प्रावधानों तथा योजनाओं को नियमित रूप से तैयार किया जाता रहा है।
शिक्षा का अधिकार भारतीय संविधान द्वारा एक मूलभूत अधिकार घोषित किया गया है। इसमें बताया गया है कि " राज्य द्वारा 6 से 14 वर्ष की आयु तक के सभी बच्चों को नि:शुल्क तथा अनिवार्य शिक्षा इस प्रकार प्रदान की जाएगी कि इसे कानून द्वारा निर्धारित किया जाए।"
नागरिकों के बीच साक्षरता को बढ़ावा देने के लिए भारत सरकार ने अनेक योजनाएं आरंभ की हैं, जैसे कि कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय योजना, दोपहर के भोजन की योजना और प्रारंभिक स्तर पर बालिकाओं की शिक्षा के लिए राष्ट्रीय कार्यक्रम। इन योजनाओं में से एक सबसे अधिक मूलभूत और आशाजनक योजना है सर्व शिक्षा अभियान।
सर्व शिक्षा अभियान (एसएसए)
सर्व शिक्षा अभियान को सभी के लिए शिक्षा अभियान के नाम से ही जाना जाता है अथवा ‘’प्रत्येक व्यक्ति एक को पढ़ाएं’’ भी कहा जाता है। यह भारत सरकार द्वारा चलाए जा रहे एक अनुकरणीय कार्यक्रम के रूप में 2000-01 में आरंभ की गई थी। यह योजना वर्ष 2010 तक 6 से 14 वर्ष के आयु समूह में सभी बच्चों को उपयोगी तथा सार्थक प्रारंभिक शिक्षा प्रदान करने के लिए बनाई गई है।
सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य
सर्व शिक्षा अभियान का लक्ष्य विद्यालयों के प्रबंधन में समुदाय की सक्रिय भागीदारी के साथ सामाजिक, क्षेत्रीय और लिंग संबंधी अंतरालों को पाटना है। आईसीडीएस केन्द्रों या गैर आईसीडीएस क्षेत्रों में विशेष शाला पूर्व केन्द्रों में शाला पूर्व सीखने के प्रयासों को समर्थन देने के सभी संभव प्रयास महिला और बाल विकास मंत्रालय के प्रयासों को पूरकता प्रदान करने हेतु किए जाते हैं।
सर्व शिक्षा अभियान के उद्देश्य
सर्व शिक्षा अभियान समुदाय द्वारा एक मिशन के रूप में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने के प्रावधान के माध्यम से सभी बच्चों में मानवीय क्षमताओं के उन्नयन के लिए अवसर प्रदान करने का एक प्रयास है। सर्व शिक्षा अभियान को निम्नलिखित विशिष्ट लक्ष्यों के साथ तय किया गया है:
- विद्यालय, शिक्षा गारंटी केंद्रों, वैकल्पिक विद्यालयों या ‘विद्यालयों में वापस’ अभियान द्वारा वर्ष 2003 तक सभी बच्चों को लाना।
- वर्ष 2007 तक 5 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चे प्राथमिक शिक्षा पूरी करें।
- वर्ष 2010 तक 8 वर्ष की आयु वाले सभी बच्चे प्रारंभिक शिक्षा पूरी करें।
- जीवन के लिए शिक्षा पर बल देते हुए संतोषजनक गुणवत्ता की प्रारंभिक शिक्षा पर ध्यान केंद्रित
- वर्ष 2007 तक प्राथमिक चरण और 2010 तक प्रारंभिक शिक्षा स्तर पर आने वाले सभी लिंग संबंधी और सामाजिक श्रेणी के अंतराल पाट दिए जाएं।
- वर्ष 2010 तक सार्वत्रिक प्रतिधारण
इन उद्देश्यों की प्राप्ति के लिए ऐसी कार्यनीतियां बनाई गई है जिनमें ब्लॉक स्तर के संसाधन केन्द्रों की स्थापना हेतु स्थानीय समुदाय समूहों एवं संस्थागत क्षमता निर्माण को सक्रिय रूप से शामिल करना है।
सर्व शिक्षा अभियान की रूपरेखा में शिक्षकों की नियुक्ति, उनका प्रशिक्षण, माता पिता तथा छात्रों को प्रेरित करना, प्रोत्साहनों जैसे कि छात्रवृत्ति, वर्दी, पाठ्यपुस्तकें आदि जैसे प्रोत्साहनों का प्रावधान शामिल है। यह कार्यक्रम उन क्षेत्रों में नए विद्यालय खोलने पर भी लक्षित है जहां विद्यालयीन सुविधाएं कम हैं और अतिरिक्त कक्षाकक्षों, शौचालय, पेय जल सुविधाओं आदि के प्रावधान निर्मित करने के माध्यम से मौजूदा विद्यालयीन मूल संरचना को सुदृढ़ बनाने पर भी लक्षित है।
सर्व शिक्षा अभियान में निजी क्षेत्र की भूमिका
जबकि सर्व शिक्षा अभियान को सरकार तथा सरकारी प्राप्त स्कूलों के माध्यम से प्रशासित किया जा रहा है, कुछ निजी गैर सहायता प्राप्त स्कूल भी सार्वत्रिक प्रारंभिक शिक्षा के प्रति योगदान में सक्रिय रूप से शामिल हैं। हाल ही में सरकार ने सर्व शिक्षा अभियान के दूसरे चरण के निधिकरण के लिए 600 मिलियन अमेरिकी डॉलर की सहायता के लिए विश्व बैंक के साथ समझौता किया है।
सर्व शिक्षा अभियान भारत सरकार द्वारा प्रारंभिक शिक्षा के सार्वभौमीकरण में एक महत्वपूर्ण प्रयास है जो नागरिकों को प्रारंभिक शिक्षा का महत्व समझने में प्रयासरत है। सामाजिक न्याय और समानता सभी को मूलभूत शिक्षा प्रदान करने के लिए एक सशक्त तर्क हैं। मूलभूत शिक्षा के प्रावधान से जीवन स्तर में सुधार भी आती है, विशेष रूप से जीवन अपेक्षा, शिशु मृत्यु दर और बच्चों की पौषणिक स्थिति।
'An Educated India is A Progressing India'
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